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________________ 94 प्रश्नब्याकरणसूत्र की प्राचीन विषयवस्तु की खोज ९-नवविहे पावसुयपसंगे पण्णत्ते, तं जहा उप्पाए, नेमित्तए, मत्ते, आइक्खए, तिगिच्छीए । कलावरण-अन्माणे, मिच्छापावयणत्तिय || -स्थानांग, ९ स्थान १०-पत्तेयबुद्धमिसिणो बीसं तित्थे अरिट्ठणेमिस्स पासस्स य पण्णरस वीरस्स विलीणमोहस्स ___-इसिभासियाई पठभा संगहणी गाथा, १ ११-चोयालीस अझयणा इसिभासिया दियलोगचुया भासिया पण्णत्ता । __ -समवायांगसूत्र ४४।२५८ १२-अंगट्ठाए दसमे अंगे, एगे सुअक्ख धे, पणयालीसं अज्झयणा -नन्दीसूत्र-५४ १३- (क) पदग्गं दीणउतिलक्खा सोलस य सहस्सा । -णन्दीचूर्णि (ख) द्विनवतिलक्षाणि षोडश च सहस्राणि । -समवायागवृत्ति १४-पण्हवायरणो णाम अंग तेणउदिलक्ख-सोलससहस्सपदेहि । -धवला, भाग-१, पृ० १०४ :१५-समवायांग-५४७ १६-समवायांग-५४७ "१७-प्रश्नव्याकरण जयप्राभृत, (ग्रन्थ० २२८ ), जैन ग्रन्थावली पृ० ३५५, (अ) चूडामणिवृत्ति (ग्रन्थ २३००), पाटन केटलोग, भाग १, पृ. ८ (ब) लीलावती टीका, पाटन केटलोग, भाग १, पृ. ८ एवं इन्ट्रोडक्शन, पृ. ६. (स) प्रदर्शनज्योति त्ति, पाटन केटलोग, भाग १, पृ. ८ एवं इन्ट्रो डक्शन, पृ. ६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001431
Book TitleJain Agam Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages330
LanguagePrakrit, Hindi, Enlgish, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & agam_related_articles
File Size18 MB
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