Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 14
________________ समणी नो धारिज्जा खणं ति ।। अज्झयणं-१, उद्देसो [१६८] धग-धग-धगस्स पज्जलिए जालमालाउले दढं | यवहे वि महाभीमे स सरीरं डज्झए सुहं ।। [१६९] पयलिंतिंगार-रासीए एगसि झंप पुणो जले । घल्लिंतो गिरितो सरीरं जं मरिज्जेयं पि सुक्करं ।। [१७०] खंडिय-खंडिय-सहत्थेहिं एक्केक्कमंगावयवं । जं होमिज्जइ अग्गीए अनु-दियहेयं पि सुक्करं ।। [१७१] खर-फरुस-तिक्ख-करवत्त दंतेहिं फालाविउं । लोणूस-सज्जिया-खारं जं धत्तावेयं पि स-सरीरे ऽच्चंत-सुक्करं | जीवंतो सयमवी सक्कं खल्लं उत्तारिऊ ण य [१७२] जव-खार-हलिद्दादीहिं जं आलिंपे नियं तणुमेयं पि सुक्करं | छिंदेऊणं सहत्थेणं जो धत्ते सीसं नियं ।। [१७३] एयं पि सुक्करमलीहं दुक्करं तव-संजमं । नीसल्लं जेण तं भणियं सल्लो य निय-दुक्खिओ ।। [१७४] माया-डंभेण पच्छन्नो तं पायडि न सक्कए । राया दुच्चरियं पुच्छे अह साहह देह सव्वस्सं ।। [१७५] सव्वस्सं पि पएज्जा उ नो निय-दुच्चरियं कहे । राया दुच्चरियं पुच्छे साह पुहइं पि देमि ते ।। [१७६] पुहवी रज्जं तणं मन्ने नो निय दुच्चरियं कहे । राया जीयं निकिंतामि अह निय-दुच्चरियं कहे ।। [१७७] पाणेहिं पि खयं जंतो निय-दुच्चरियं कहेइ नो । सव्वस्सहरणं च रज्जं च पाणे वी परिच्चएसु णं ।। [१७८] मया वि जंति पायाले निय-दुच्चरियं कहिंति नो । जे पावाहम्म-बुद्धिया काउरिसा एगजम्मिणो । ते गोवंति स-दुच्चरियं नो सप्पुरिसा महामती ।। [१७९] सप्पुरिसा ते न वुच्चंति जे दानव इह दुज्जने । णं चरिते भणिया जे निसल्ला तवे रया ।। [१८०] आया अनिच्छमाणो वि पाव-सल्लेहिं गोयमा निमिसद्धानंत-गुणिएहिं पूरिज्जे निय-दुक्किया ।। [१८१] ताइं च झाण-सज्झाय-घोर-तव-संजमेण य । निभेण अमाएणं तक्खणं जो समुद्धरे ।। [१८२] आलोएत्ताण नीसल्लं निंदिउं गरहिउं दढं | तह चरती पायच्छित्तं जह सल्लाणमंतं करे ।। [१८३] अन्न-जम्म-पहुत्ताणं खेत्ती-भूयाण वी दढं । दीपरत्नसागर संशोधितः] [13] [३९-महानिसीह

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