Book Title: Agam 39 Mahanisiham Chattham Cheyasuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 12
________________ तेलोक्क-लग्गणक्खंभ धम्म-तित्थंकरेण जं ।। अज्झयणं-१, उद्देसो [१३५] तमहं लिंग धरेमाणी जइ वि ह जंते निफीलियं । मज्झोमज्झी य दो खंडा फालिज्जामि तहेव य ।। [१३६] अह पक्खिप्पामि दित्तग्गिं अहवा छिज्जे जई सिरं । तो वी हं नियम-वय-भंग-सील-चारित्त-खंडणं ।। [१३७] मनसा वी एक्क-जम्म-कए न कुणं समणि-केवली । खरुट्ट-साण-जईसुं सरागा हिंडिया अहं ।। [१३८] विकम्म पि समायरियं अनंते भव-भवंतरे तमेव खरकम्ममहं पव्वज्जापट्ठिया कुणं ।। [१३९] घोरंधयारपायाला जेणं नो नीहरं पुणो । बे दियहे मानुसं जम्मं तं च बहुदुक्ख-भायणं ।। [१४०] अनिच्चं खण-विद्धंसी बहु-दंडं दोस-संकरं । तत्थावि इत्थी संजाया-सयल-तेलोक्क-निंदिया ।। [१४१] तहा वि पावियं धम्मं निव्विग्घमनंतराइयं । ता हं तं न विराहेमी पाव-दोसेण केणई ।। [१४२] सिंगार-राग-सविगारं साहिलासं न चेट्ठिमो । पसंताए वि दिट्ठीए मोत्तं धम्मोवसएसगं ।। [१४३] अन्नं परिसं न निज्झायं नालवं समणि-केवली । तं तारिसं महापावं काउं अक्कहनीययं ।। [१४४] तं सल्लमवि उप्पन्नं जह दत्तालोयण-समणि-केवली । एमादि-अनंत-समणीओ दाउं सुद्धालोयणं ।। [१४५] निसल्ला केवलं पप्पा सिद्धाओ अनादी-कालेण गोयमा ! | खंता दंता विमुत्ताओ जिइंदियाओ सच्च-भाणिरीओ ।। [१४६] छ-क्काय-समारंभा विरया तिविहेण उ । ति-दंडासव-संवुत्ता पुरिस-कहा-संगवज्जिया ।। [१४७] पुरीस-संलाव-विरयाओ पुरिसंगोवंग-निरिक्खणा | निम्ममत्ताउ स-सरीरे अपडिबद्घाउ महा-यसा ।। [१४८] भीया छि-छि-गब्भ-वसहीणं बहु-दुक्खाओ भवसंसरणाओ तहा | ता एरिसेण भावेणं दायव्वा आलोयणा || १४९] पायच्छित्तं पि कायव्वं तह जह एयाहिं समणीहिं कयं । न उणं तह आलोएयव्वं माया-डंभेण केणई ।। [१५०] जह आलोयमाणीणं पाव-कम्म-वुड्ढी भवे । अनंतानाइ कालेणं माया-डंभ-छम्म-दोसेण || [१५१] कवडालोयणं काऊं समणीओ ससल्लाओ । दीपरत्नसागर संशोधितः] [11] [३९-महानिसीह

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