Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 13
________________ सूर्यप्राप्तिसूत्रे धानि नामवेयानि ज्ञात्वा सम्प्रति सम्वत्सराणां नामधेयविषये पृच्छामि तावत् भदन्त ! इति गुरोः सम्बोधनवाक्यं हे गुरो ! कृपया प्रथम मां बोधय इति गौतमः पृच्छति-कतिकति संख्यकाः किं प्रमाणाः किं नामधेयाः सम्वत्सराः खल्विति वाक्यालंकारे आख्याता प्रतिपादिता स्वस्वशिष्येभ्यः उपदिष्टा इति वदेत्-कथयेत् । इति गौतमस्य जिज्ञासां ज्ञात्वा भगवानुत्तरयति-'ता पंच संवच्छरा आहिएत्ति वएज्जा' तावत् पञ्चसम्वत्सरा आख्याता इति वदेत् । तावत्-भवज्जिज्ञासा निवृत्तिं श्रूयतां तावत पश्वसम्वत्सरा:-पञ्चसंख्यकाः पञ्चनामधेयाश्च सम्वत्सराः आख्याताः-प्रतिपादिताः सन्ताति वदेत्-कथयेत् त्वयाऽपि स्वशिष्येभ्यः प्रतिपादयेदिति प्रतिपाद्य तेषामेव पृथक् नामधेयानि कथयति-तं जहाणक्खत्तसंवच्छरे जुगसंवच्छरे पमाणसंवच्छरे लक्खणसंवच्छ रे सणिच्छरसंवच्छरे' तद्यथा नक्षत्रसंवत्सरः युगसम्बत्सरः प्रमाणसंवत्सरः लक्षणसम्वत्सरः शनैश्चरसम्वत्सरः । तद्यथातेषां पञ्चसम्बत्सराणां क्रमेण नामानि यथा-नक्षत्रसम्वत्सर:-नक्षत्रसम्वत्सम्वत्सरः अष्टाविशतिनक्षत्रै दशराशयो भवन्ति, द्वादशराशिभिरेको भगणो भवति चन्द्रस्यैकभगणभोगकालश्चन्द्रमासो नाक्षत्रमासो वा प्रोच्यते, यतोहि नक्षत्रमण्डली परिसमाप्ति भोगकालस्य संवत्सरों के नाम विषय में प्रश्न करते हैं कि हे भगवन् ! किस प्रमाणवाले एवं कौनसे नामवाले संवत्सर प्रतिपादित किये हैं ? सो कहिये । इस प्रकार श्री गौतमस्वामी की जिज्ञासा को जानकर उत्तर में श्री भगवान् कहते हैं-(ता पंचसंवच्छरा आहिएति वएजा) हे गौतम ! संवत्सर पांच प्रतिपादित किये हैं अतः तुम भी अपने शिष्यों को इस प्रकार से उपदेश करो। इस प्रकार कह कर के उन संवत्सरों के नाम कहते हैं (तं जहा-णक्खत्तसंवच्छरे, जुगसंवच्छरे, पमाणसंवच्छरे लक्षणसंवच्छरे, सणिच्छरसंवच्छरे) पांचों सवसरों के यथाक्रम नाम इस प्रकार से हैं-नक्षत्रसंवत्सर, माने नक्षत्र से सम्बद्ध संवत्सर अठाईस नक्षत्रों से बारह राशियां होती हैं । बारह राशि से एक भगण होता है, चंद्र का एक भगण का भोगकाल से एक चंद्रमास या નાઓના નામે જાણીને હવે ગૌતમસ્વામી સંવત્સરેના નામોના સંબંધમાં પ્રશ્ન પૂછે છે કે હે ભગવાન કેવા પ્રમાણુવાળા અને કયા નામવાળા સંવત્સર પ્રતિપાદિત કરેલ છે? તે આપ મને કહો આ પ્રમાણે શ્રી ગૌતમસ્વામીની જીજ્ઞાસા જાણીને ઉત્તરમાં શ્રી ભગવાન से छ-ता पंचसंवत्सग आहिएति वएज्जा) गौतम ! संवत्स। पांच प्रतिपाहित કરેલા છે, જેથી તમે પણ પિતાનો શિષ્યને આ રીતે ઉપદેશ કરે. આ પ્રમાણે કહીને તે संवत्सराना नाम मतावे छे. (तं जहा णक्खत्तसंवच्छरे, जुगसंवच्छरे, पमाणसंबच्छरे, लक्खणसंत्रच्छरे, सणिच्छरसंवच्छरे) पांये संवत्सराना भानुसा२ नाममा प्रमाणे छे. નક્ષત્ર સંવત્સર એટલેકે નક્ષત્રથી સંબદ્ધ સંવત્સર અઠયાવીસ નક્ષત્રથી બાર રાશિ થાય છે. બાર રાશિથી એક ભગ થાય છે. ચંદ્રને એક ભગણના ભંગ કાળથી એક ચંદ્રમાસ श्री सुर्यप्रति सूत्र : २

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