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विचार-वैभव:३ विचारों पर नियन्त्रण करो। जब भी हो अच्छे विचारों को स्थान दो । बुरे विचार मन में अधिक समय तक स्थान पा जाते हैं, तो फिर उनको निकालना असम्भव-सा हो जाता है। बुरे विचार अधिक समय तक मन को भूमि में पड़े रहेंगे, तो समय का पानी उनको मिलता रहेगा और उनकी जड़े मजबूत होती जाएँगी । जिस वृक्ष की जड़ें गहरी जम जाती है, तो वह स्थायित्व पा जाता है। फिर उस वृक्ष का उल्मूलन कठिन हो जाता है । ___ दया, प्रेम, विनय, कोमलता आदि शुभ विचार हैं। इन विचारों के द्वारा चिरकाल से प्रसुप्त मानवता उद्बुद्ध हो जाती है । अतः प्रेम विनय, और सौजन्य को लहलहाती हरियाली मानव मात्र का मन मोह लेती है। विचारों में दृढ़ता: ____ कायर योद्धा युद्ध करने से पहले यह सोचता है कि यदि में शत्रु से घिर गया, तो इधर से भाग जाऊँगा, उधर से खिसक जाऊँगा । और जो वीर है, वह भागने का विकल्प तक नहीं करता। उसके सामने तो एक ही दृढ़ संकल्प होता है --शत्रु को परास्त कर दूंगा । जीवन भो एक समर भूमि है, युद्ध क्षेत्र है । कायर योद्धा को तरह यदि आपके मन में दृढ़ता-विहीन विवार चक्कर काट रहे होंगे, तो उस अवस्था में फिर निश्चित ही है, कि आप जीवन के क्षेत्र में युद्ध नहीं कर सकती। तुम्हारा काम द्वितीय वीर योद्धा की तरह लक्ष्य स्थिर करना है, और फिर उस लक्ष्य की परिपूर्ति के लिए अपनी सारी शक्ति लगा देनी है।
शुभ कर्म करते हुए बाधाएँ ता आयेंगी ही। रुकावटें अपना मार्ग भी अवरुद्ध करेंगी ही। परन्तु यदि आपके विचार में दृढता है, तो संसार की भारी से भारी शक्ति भी आपका मार्ग अवरुद्ध
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