________________
16
भारतीय नारी का गौरव लज्जा में सुरक्षित है यह एक स्वर में सबको स्वीकार है। परन्तु निरी लज्जा मूर्खता में परिणित न हो जाए ! इसकी विवेचना इस लेख में है।
नारी का गौरव लज्जा
नारी जाति का प्रधान गुण लज्जा है : लज्जा के समान स्त्रियों का दूसरा कोई आवश्यक व सुन्दर भूषण नहीं है-'लज्जा पर भूषणम् ।' लज्जा ही स्त्री के शील और संयम की रक्षा करती है । स्त्री में चाहे और सभी गुण हों, परन्तु यदि लज्जा न रहे, तो वे सब व्यर्थ हो जाते हैं।
आजकल बीसवीं शताब्दी चल रही है सब ओर फैशन का बोल-वाला है । कालिज आदि की शिक्षा का प्रभाव, फैशन की वृद्धि पर बहुत अधिक पड़ रहा है भारत की संयमशील देवियाँ भी इससे नहीं बच सकी हैं । उसमें भी फैशन आदि विलासता का प्रभाव बढ़ रहा है । इस कारण आज के युग में लज्जा का महत्व बहुत कम हो गया है। बस्त्रों का उपयोग :
आजकल' बड़े-बड़े नगरों में कपड़े बहुत बारीक पहने जाते हैं, इतने वारीक कि जिनमें से सारा शरीर साफ-साफ दिखाई देता रहता है । इस प्रकार जालीदार और रेशमी वस्त्र पहनकर शृगार
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org