Book Title: Adarsh Kanya
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 87
________________ 'कोयल के मीठे बोल' बहुत संभव है, तुम्हें भी कोयल जैसा मीठा बोलने की प्रेरणा दे जाएँ, तुम्हारी वाणी की वीणा से सम्भव है, हमेशा के लिए मीठे ही स्वर निकलने लगे। कोयल के मोठे बोल संसार की सब कलाओं में बोलने की कला सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण है । आज तक का इतिहास हमें यही कहता है, जिसके पास बोलने की कला थी, उसने संसार में आदर पाया और संसार को अपने कदमों पर चलाया। यहां बोलने की कला का मतलब सभा में भाषण देने से नहीं है, अपितु मीठा बोलने से है, एक व्यक्ति ऐसा बोलता है, कि सामने वाले व्यक्ति का हृदय जीत लेता है, और एक ऐसा बोलता है, कि अपना भी गैर हो जाता है, यहाँ तक कि उसके द्वारा कही गई हित की बात भी बुरी लगती है। __ कोयल ही सबको प्यारी क्यों लगती है । क्या वह तुम्हें कुछ दे देती है ? और कौआ बुरा क्यों लगता है । क्या वह तुमसे कुछ छीन लेता है ? उत्तर स्पष्ट है-न कौमा छीनता है और न कोयल कुछ दे ही देतो है । एक कवि ने इस बात को यों रखा है -- कागा किसका धन हरे ? कोयल किसको देय? मधुर वचन के कारणे, जग अपना कर लेय ? Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org

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