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विलास विनाश है :
विलासिता से मानवता का बलपूर्वक अपहरण किया है, अतीत की ओर झाँक कर देखें, तो वह स्पष्ट हो जाता है । अत: विलास हमारा बिनाशक न बन जाए, इसका विचार करना आवश्यक है ।
समय के साथ-साथ भारत की गतिविधि में परिवर्तन आ रहे हैं । आज वह तप और त्याग का जीवन कहाँ, जो भारत के लिए सदैव से गर्व का विषय रहा है । आज न वह पहले सोनिका है और न वह सीधा-सादा सरल जीवन ही ।
लिपिस्टिक की मुस्कान :
आज देश में विलासिता का बड़ा भयंकर जोर है । जिवर भो दृष्टि डालिए, उधर ही विलासिता का नंगा नाच दिखाई पड़ता है । क्या बालक, क्या युवा, क्या बूढ़े सब विलासिता के प्रभाव में बहे जा रहे हैं । विलासिता का सबसे अधिक प्रभाव भारती की नारी जाति पर पड़ा है । वह सीता और द्रौपदी जैसा कर्म जीवन आज कहाँ है ?
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आज भारत के चतुर्दिक में लिपिस्टिक को मुस्कान दिखाई दे रही है, नारी का नैसर्गिक सौन्दर्य इससे नष्ट हो रहा है, परन्तु नारी फिर भी कृत्रिमता का हो पल्ला पकड़े हुए हैं । वह इस देश
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