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आदर्श सभ्यता : १०७
आदर्श सभ्यता
कभी आपको मिल जाए, तो आप उसके मालिक को लौटा दो । यदि मालिक का पता न लगे, तो उसे अपने पास न रखकर पुलिस ऑफिस में या किसी प्रामाणिक संस्था में जमा करा दो, ताकि वे उसे उसके मालिक के पास पहुँचा दें।
यदि मांगी हुई पुस्रक या अन्य कोई वस्र खो जाए अथवा खराब हो जाय, तो उसके मालिक को बदले में नयी मंगवाकर दो । यदि मंगाकर देने की स्थिति न हो, तो इसके लिए सच्चे हृदय से क्षमा माँगो। + + + मार्ग में चलते हुए यदि कोई ठोकर खा जाए और गिर पड़े, तो तुम उसकी दुर्दशा पर हँसो मत । बल्कि सहृदयता से उसके प्रति संवेदना प्रकट करो, और उसको सँभलने में सहायता पहुँचाओ। + + + यदि कभी किसी दूसरे की पुस्तक पढ़ने को मांगकर ली जाए, तो उस पर अपना नाम पता आदि कुछ न लिखो, याद रखो कि पृष्ठों के कोने न मुड़ जाएँ और वह पुस्तक जैसी ली है वैसी ही पहुँचे । + + +
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