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६२ : आदर्श कन्या उन्नत होगा, समाज में तुम्हारी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। अतः सबकी कल्याण कामना करनी चाहिए।
आलोचना करने के सम्बन्ध में एक सिद्धान्त है, कि यदि कभी किसी से कोई भूल हो गई हो, तो उसकी तो निन्दा मत करो, अपितु सम्बन्धित व्यक्ति से कह दो--"तुमने ऐसा काम किया है, यह ऐसा नहीं होना चाहिए।" जिसमें आत्म-शोधन की बुद्धि होगी। तो वह तुम्हारी बातों पर अवश्य विचार करेगा, और अपनी भूल को स्वीकार करेगा, तथा मागे न करने के सम्बन्ध में प्रतिज्ञा भी करेगा।
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