________________
८८ : आदर्श कन्या अपने प्राण निछावर करती रही हैं। चित्तौड़ की वीर नारियों ने आग में जिन्दा जल कर मर जाना अच्छा समझा, परन्तु मुसलमान गुण्डों के द्वारा अपना धर्म नष्ट नहीं होने दिया ।
तुम जानती हो, जेन-धम में भय करना, कितना बुरा बताया गया है ? जा नादमी बात-बात पर डरता है, भय खाता है, वह जैन कहलाने का अधिकारी नहीं है। भगवान महावीर ने कहा है-"न तुम भूत-प्रेत से डरो, जब तक तुम्हारा जीवन है, तब तक तुम्हारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।" जैन का अर्थ ही जीतने वाला है, वह डरेगा किससे ? सच्चा जैन और किसी चीज से नहीं डरता । वह डरता है, केवल पाप से बुराई से ।
तुम हमेशा लड़की ही तो न रहोगी, बड़ी बनोगी न ! जब तुम बड़ी बनोगी, तब तुम पर बहुत जवाबदारियाँ आएँगी ! कभी घर पर अकेली भी रहना होगा, क भी बाहर दूर देश की यात्रा भी करनी पड़ेगी। कभी किसी संकट का भो सामना करना होगा। अगर तुम निर्भय और बहादुर रहागी, तो संकटों और झंझटों को पार कर जाओगी । भयभीत हो-हो कर व रो-रो कर आंसू बहाने की आदत तुम्हें कुछ भी काम, समय पर न करने देगी। तुम क्या बनोगी:
जो लड़कियाँ दब्बू और डरपोक होती है, गुण्डे लड़के उन्हें छेड़ते हैं । जो लड़की निडर, बेधड़क और वीर होती हैं, उन से गुण्डे भी डर जाते हैं, और दूर रहते हैं। यदि कभी कोई गुण्डा अभद्र व्यवहार करता है, तो बहादुर लड़कियाँ उसकी वह मरम्मत करती हैं, कि गुण्डे को अकल ठिकाने आ जाती है। फिर वह कभी, किसी भली लड़की को छेड़ने का साहस नहीं करता। तुम वार बनो। दुर्गा और झाँसी की रानी बनो ! सीता और द्रोपदी बनो ! तुम जहाँ भी रहो वहीं बड़ों के आगे भोली-माली बनो और विरोधी गुण्डों के आगे भयंकर शेरनी बनकर रहो।।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org