Book Title: Adarsh Kanya
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 95
________________ भय का भूत, धुन की तरह मनुष्य के विश्वास को खाता रहता है । जिस नारी में विश्वास नहीं बोलता, वह कर ही क्या सकती है? भय विश्वास को खत्म कर देता है। भय, मन का घन है जो व्यक्ति बात-बात पर भय करता है, डरता है, समझ लो, उसने अपने जीवन में कोई बड़ा काम नहीं हो सकता। भय तो मनुष्य के मन का घन है । यह घन अन्दर ही अन्दर मनुष्य के उत्साह शरीर और सेवा आदि अच्छे गुणों को चबा डालता है । फिर वह मनुष्य संसार में किसी भी काम का नहीं रहता। पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में भय की भावना अधिक है। जरा. जरा सी बात पर स्त्रियाँ भय से कांपने लगती हैं। और धीरज खो बैठती हैं। जब कोई लड़का डरता है; तो कहा करते हैं. किअरे यह लड़का है या लडकी ? इतना डरता है ? तूने तो लड़कियों को भी मात कर दिया।" इसका मतलब यह हुआ, कि-लड़कियां डरा करती हैं, डरना उनका स्वभाव हो गया है। अस्तु, पूत्रियो ! तम्हें नारी जाति पर से इस कलंक को दूर करना होगा, निर्भय बनना होगा। जब तक भारत माता की लाड़की पुत्रियाँ निर्भय नहीं बनेंगी, तब तक भारत माता का गौरव किसी भी प्रकार नहीं बढ़ सकेगा। अन्धकार तुम्हें नहीं डराता : बहुत सी लड़कियां बड़ी डरपोक होती हैं। रात्रि के समय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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