Book Title: Adarsh Kanya
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 96
________________ भय मन का घुन है : ८७ घर में एक कमरे से दूसरे कमरे में जाने से डरती हैं, अकेली सोने से भी डरती हैं, दीपक बुझ जाने पर डरती हैं, कुत्ता मौंके तो भी डरती हैं, और तो क्या, चुहिया के बच्चे से भी डरती हैं भला ऐसी डरपोक लड़कियां, अपने जीवन में क्या कभी कोई साहस का काम करेंगी? बात-बात पर डरना और रोना जिनका स्वभाव बनता जा रहा है, वे संकट काल में अपने परिवार की और अपनी रक्षा कर सकेंगी? यह सर्वथा असम्भव है। ____ मैं डरपोक लड़कियों से कह देना चाहता हूं, कि 'तुम जल्दी से जल्दी डरपोकपन की आदत छोड़ दो। अगर तुमने डरना नहीं छोडा और निडर न बनी तो याद रक्खो आज की दुनिया में तुम किसी काम की न रहोगी। घर में भीगी-बिल्ली बन कर दुवके रहना क्या कोई अच्छी जिन्दगी है ?" मैं नहीं समझा-"आखिर डरने की क्या बात है? चूहिया बड़ी है या तुम बडी हो ? कोडे मकोड़े में अधिक बल हैं या तुम में ? कुत्ते बिल्ली में अधिक बुद्धि है या तुम में ? किसी समय दीपक बुझ गया तो इससे क्या हुआ ? अंधेरा तुम्हें खा तो नहीं जाता? फिर तुम इतनी डरपोक क्यों हो। अंधेरा तुम्हें नहीं डराता; अपितु तुम्हारा डरपोक मन ही तम्हें डराता है । किनसे डरा जाए : भारतवर्ष की देवियाँ बड़ी निडर और बहादुर हुई हैं। रानी दुर्गा ने आक्रमणकारी यवन-राक्षसों को मार भगाया था। झाँपी की रानी ने युद्ध में अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिये थे । सीताजी और द्रौपदी को अपने पति के साथ कैसे भयानक सूने वनों में रहीं। सीताजी को जब राक्षस रावण चुराकर ले गया, तब वह कितनी निडर रही थीं? रावण ने बहत डराया धमकाया फिर भी सीताजी उसे खुले दिल से फटकार बताती रहीं। भारत की पुत्रियों धर्म पर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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