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८० : आदर्श कन्या महावीर की माता कितना मधुर बोलती थी ? भगवान महावीर की शिष्या चन्दनवाला की वाणी में किननी अधिक मिठास थी ? उसने छत्तीस हजार साध्वियों के संघ पर शासन किया था, उसकी मधुर वाणी विरोधियों के हृदय को भी मधुर बना देती थी। वाणी मिश्री की डली हो:
कर्कश और कठोर भाषण करने वाली स्त्रियाँ, ठीक इसके विपरीत होती हैं-वे .सदा. मुंह चढ़ाए भूखी शेरनी की तरह झुंझलाती फिरा करती हैं, और क्या बच्चों से और क्या. बड़ों से, सब लोगों से दुर्वचन बोलती हैं, फलतः अपने निकट के प्रेमियों को शत्र बना लेती हैं। उनसे कोई बोलना नहीं चाहता। उनके पास कोई जाना नहीं चाहता। उसकी कर्कश वाणी के कारण प्रायः घर और बाहर बाले, उसकी अमंगल की कामना किया करते हैं। और उसके सम्बन्ध में निश्चित, धारणा बना लेते हैं, कि कठोर बोलने वाली अमुक स्त्री. सूर्पनखा ही है।
अधिक क्या कहा जाय? संक्षेप में मिष्ड भाषी और कठोर भाषी लड़की में इतना ही अन्त र है, कि जहाँ एक अपने घर को नन्दन-वन बनाकर उसमें मधुर मनोरम तान भरतो हैं, तो दूसरी घर को उजार बनाकर उसे लड़ाई-झगड़े का अखाड़ा बना देती है। कहो पुत्रियो। तम किस प्रकार की होना चाहती हो ? तुम्हारी आत्मा नन्दन-बन में रहना चाहती है, या उजाड़ में नन्दन-वन को चाहता हो तो मधुर बोलो ! एक दम सदा मधुर !
जो बात हो सही हो, अच्छी हो अरु भली हो ।' कड़वी न हो, न मूठो, मिसरी की-सी डली हो।।
भूमण्डल पर तीन रत्न हैं, जल, - अन्न, सुभाषित कणो। . पत्थर के टकड़ों में करते, रत्न कल्पना फाम प्रापी 4k.
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