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'६२ । आदर्श कन्या
दब्बूपन मन की हीन भावना, असंस्कारिता एवं अज्ञान का सूचक है जब कि लज्जा नारी की कुलीनता, सभ्यता, शिष्टता और सुशिक्षा को व्यक्त करती है। लज्जा का अर्थ ही हर बात में सभ्यता और शिष्टता का ध्यान रखना है।
अधिक क्या, पुत्रियों ! तुम लज्जा का सदैव ख्याल रखो। कोई भी काम ऐसा न करो जिससे तुम्हारी निर्लज्जता प्रकट हो । जैनधर्म में लज्जा को ही पर्दा माना है, चूंघटों को नहीं । यदि चूंघट का सही अर्थ समझकर जीवन में इस रहस्य को साकार कर सको, तो नारी जाति का गौरव तुम अवश्य बढ़ा सकोगी।
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