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हँसी-दिल्लगी : ७३ बना करती हैं। यह आदत अच्छी नहीं है। किसी के काले रूप की तो किसी की चपटी नाक आदि की हँसी करना बहुत असभ्यता का लक्षण है । तुम नहीं जानती तुम्हारी हँसी से उसके दिल को कितनी अधिक चोट लगती होगी ? किसी का दिल दुखाना बहुत बुरा है । हंसी में क्या वजित है :
हंसी में भी किसी के गुप्त दोषों को मत प्रकाशित करो, अगर किसी से कोई भूल हो गई है, अपराध हो गया है, तो तुम्हें क्या अधिकार है, कि उसे नोचा दिखाने के लिए हँसी करो। ऐसी हंसी ममृत के बजाय जहर बन जाती है, हँसी-दिल्लगी में किसी से कभी कोई कड़वी बात मत कहो। तुम्हारी हंसी मधुर हो, उस में प्रम की खुशबू हो । देखना, उसमें कहीं द्वष और घृणा की दुर्गन्ध न छुपी
____ अधिक हँसना भी अच्छा नहीं है। बहुत सी लड़कियाँ हमेशा हर किसी के सामने हंसी-दिल्लगी कि या करती हैं । न वे समय का ध्यान रखती हैं, और न व्यक्ति का । परन्तु नारी जीवन में इस प्रकाश अमर्यादित हँसना शोभा नहीं देता। इस तरह हमेशा हर किसी के साथ हंसी करने से गम्भीरता जाती रहती है। अधिक हँसोड़ लड़की सभ्य समाज में आदर नहीं पाती।
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