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नारी का गौरव : लख्जा : ६१
है । परन्तु लड़कियों को ठहाका लगाकर तथा कहकहा मारकार हँसना उचित नहीं हैं । जोर से हँसना, लज्जा का अभाव सूचित करता है। लड़कियों को बहुत धीरे, मन्द हास्य से हँसना चाहिए । मन्दहास्य नारी के सौन्दर्य को बढ़ाता है।
विवाह आदि प्रसंगों पर बहुत संयम से काम लेना चाहिए । बहत-सी लड़कियाँ और वयस्क स्त्रियाँ ऐसे प्रसंगों पर अपनी मयांदा से सर्वथा बाहर हो जाती हैं। बगतियों से छेड़छाड़ करना, गन्देगन्दे गाने गाना, गालियाँ देना, अच्छी बात नहीं है । इससे भारतीय स्त्रियों को मूर्ख और फूहड़ आदि शब्दों से सम्बोधित किया जाने लगा है। अतः अपनी प्रतिष्ठा अपने हाथ से है। लज्जाशील रहने में ही भारतीय स्त्री की प्रतिष्ठा है । चूंघट क्या है :
बहुत से देशों में लज्जा का सबसे बड़ा प्रतीक चूंघट समझा जाता है। परन्तु ऊपर से लेकर नीचे तक सारे शरीर को कपड़ों से छुपाकर और हाथ भर का लम्बा घु घट निकाल कर बाहर आना. जाना भारत की अपनी सभ्यता नहीं है। यह परम्परा मुगलकाल से भारत में आई है। भारतीय स्त्री के लिए तो लज्जा ही घूघट है । आँखों में लज्जा है, तो सब कुछ है और यदि यह नहीं है, तो घंघट करने से क्या लाभ ? लम्बा घंघट मजाक की चीज है। बहुत-सी स्त्रियां अपने घर वालों से तो लम्बा चूंबट डाल कर पर्दा करती हैं, उनसे बोलती भी नहीं हैं, परन्तु बिल्क ल अपरिचित लोगों के सामने धड़ल्ले से बात कर लेती हैं, पता नहीं, पर्दे को यह कैसी व्यवस्था है ?
आजकल कुछ पढ़ी लिखी स्त्रियाँ लज्जालुता को दब्बूपन कहकर मनाक किया करती है ! वस्तुतः लज्जा और दब्बूपा में फर्क है ।
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