Book Title: Adarsh Kanya
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 75
________________ ६६ : आदर्श कन्या होन। एक बात है, और चतुर होना दूसरी बात । तुम चतुर रहो झट-पट किसी की बातों में न आओ, अपने काम को हर तरह से सफल बनाने का प्रयत्न करा । इसमें कोई प.प नहीं है। पाप हैदेश में मायाचार में । बस माया से बचो। गोपनीयता क्या है : ___ अपनी बात प्रकट करने का यह अर्थ नहीं है, कि गृहस्थो की जो भी गोपनीय बात हो, सब प्रकट कर दो। घर की बहुत-सी बातें ऐसी होती हैं, जो छिपाने की ही होती हैं । हर जगह घर का भेद खोल देने से भारी अनर्थ हो जाने की सम्भावना है । तुम स्वयं बुद्धिः मती हो, समय और असमय का ख्याल रखो । कोई समय छिपाने का होता है, और कोई समय छिपाने का नहीं भो होता है। __ यहाँ हमारे कहने का अभिप्राय इतना ही है, माता-पिता के सामने तथा आगे चलकर सास, ससुर या पति के सामने हरदम छिपाकर काम करना, और पूछने पर सही-सही न बताना यह गृहजीवन के लिए नितान्त पतन का मार्ग है । अतएव इससे बचने का प्रयत्न करना प्रत्येक नारी का विशुद्ध कर्तव्य है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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