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५४ : आदर्श कन्या प्रयत्न करो । प्रेम से समझाया हुआ व्यक्ति जल्दी ही शान्त होता और अपनी बुरी आदत को छोड़ देता है।
कुछ कन्याएँ ऊपर से बड़ी सीधी-सादी मालूम होती हैं, पर अन्दर बड़ा क्रोध करती हैं। अपने को जबान से तो प्रकट नहीं कर परन्त मुंह फुला लेती हैं और उदास होकर चुप हो जाती हैं । यी कोई उनको समझाता है, या बात-चीत करता है, तो उपका उत्त ही नहीं देती। यह आदत बड़ी खराब है, और यह बड़ी होने पर । तंग करेगी। अतः सुशील कन्याओं को इस अवगुण से हमेशात रहना चाहिए। __तुमने देखा होगा, कि बहुत-सी लड़कियों में ताना देने की आद पड़ जाती हैं । लड़के तो क्रोध को मारपीट आदि के रूप में निका डालते हैं, परन्तु लड़कियाँ अपने क्रोध को कटु वचनों और तानों द्वारा प्रकट करती हैं । परन्तु याद रखना चाहिए-कटु व वनों अं तानों का परिणाम वहुत बुरा होता है । बाणों का घाव तो रि जाता है, परन्तु तानों का घाव जन्म भर नहीं मिटता । महाभा के युद्ध का मूल कारण आपस के ताने ही तो थे। अतः तुम्हें चा तुम अच्छी बातों को ग्रहण करो तथा जोवन को, और नेक बनाई सबके साथ प्रेम भाव रखना एक बनना है । और जो मन में हो। वाणी पर भी हो-यह नेक बनना हैं।
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