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१० : आदर्श कन्या
भेड़िया आ गया । बचाओ ! बचाओ !" खेतों में काम करने वाले कृषक भागकर उसे आपत्ति से मुक्त करने की भावना से जाते और उससे पूछते कहाँ है भेड़िया? तो वह खिलखिला कर हंस पड़ता। इस प्रकार उसने अनेकों बार किसानों को परेशान किया। एक बार सचमुच ही भेडिया आ गया। वह चिल्लाया, पर सब लोगों ने इसके इस सत्य को भी झूठ समझा और कोई भी उस की सुरक्षा के लिए नहीं आया। फलत: वह अपनी जरा-सी झूठ बोलने की प्रवृति के कारण ही अपने जीवन से हाथ धो बैठा ! जिन्दगी खो बैठा ।
यह कहानी यह शिक्षा देती है कि, झूठ बोलकर अगर जरा-सी देर के लिए अपना काम बना भी लिया, मनोविनोद कर भी लिया तो क्या हुआ? कांठ की हंडिया एक बार ही चूल्हे पर चढ़ सकती है झठ बहुत कम ही जिन्दा रहता है अजर-अमर तो सत्य ही है। जिसके पास सत्य है, उसे भय ही विस बात का हो सकता है ? सत्य साक्षात् भगवान ही है।
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