Book Title: Adarsh Kanya
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 47
________________ ३८ : आदर्श कन्या जाता है, और उसमें जीव पड़ जाते हैं। इस प्रकार वह जीव हिंसा का भी कारण होता है और स्वास्थ्य का नाश भी करता है । सागभाजी भी देखकर काम में लानी चाहिए। सड़ी हुई साग-भाजी में भी जीव पड़ जाते हैं । चूल्हे में पड़ी हुई आग के लिए बड़ी यतना की आवश्यकता है । भूल से यदि कभी यतना नही की जाती है, तो कभी-कभी बड़ा अनर्थ हो जाता है, घर-का-घर भस्म हो जाता है। कितनी भयंकर हिंसा होती है, उस अवस्था में ? जलाने के लिए लकड़ियाँ अच्छी तरह देख भाल कर लेनी चाहिए। जो लकड़ियाँ सड़ी हुई गोली होती हैं, उनमें घुन पड़ जाते हैं। और बिना विचारे लकड़ी जलाने से उन जीवों के लिए तो होली दी हो जाती है । लकड़ियाँ झाड कर ! तथा उलट-पलट कर देखो। कहीं ऐसा न हो, कि कोई जीव-जन्तु लकड़ियों के साथ आग में भस्म हो जाय । लकड़ियाँ आवश्यकता से अधिक नहीं जलानी चाहिए। यह भी विवेक ही है: घर में घी, तेल, पानी आदि के पात्र कभी खुले मत रक्खो। घी आदि के पात्र खुले रहने से जीवों के गिर जाने की सम्भावना हैं । अतएव भूलकर भी उघाड़े बर्तन न रखने चाहिए । अन्न के संसर्ग वाले जूठन के पानी को भी मोरी में डालने से जीवोत्पत्ति होती है, दुर्गन्ध बढ़ती है और इससे जनता के स्वास्थ्य को भी बहुत हानि पहुँचती है। __ बासी भोजन करने की इच्छा कभी मत करो । बासी अन्न खाने से अनेक रोग हो जाते हैं, और बुद्धि मन्द पड़ जाती है । यदि बासी अन्न अधिक काल का हुआ तो जीव-हिंसा का पाप भी लगता हैं । बहुत सी बहिनें इधर-उधर से आई हुई मिठाई जमा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120