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सत्य ही भगवान है झूठ बोलकर आगे तुम झूठ बोलने की परम्परा ही डाल लोगी और झूठ का अभ्यास बढ़ता जायेगा । ज्यों-ज्यों तुम्हारा झूठ बढ़ेगा, त्योंत्यों तुम्हारा विश्वास लोगों के दिल से उठता जाएगा। अगर तुमने किसी का झूठा नाम लगा दिया, तो समझ लो दोहरा झूठ हो गया ।
सत्य बोलने से आत्मा सदा प्रसन्न रहती है । सत्य के उपासक के चित्त में किसी प्रकार की खिन्नता और दुःख नहीं होता । सत्य बोलने वाला सदा निर्भय रहता है । झूठा व्यक्ति यह सोचकर भयातुर रहता है कि मेरा झूठ कहीं प्रकट न हो जाय । सत्यवादी के मुख पर अपूर्व तेज चमकता है ओर आस-पास के सब लोगों में विश्वास भो बढ़ता है । संसार के जितने भी काम हैं, सब परस्पर के विश्वास से ही चलते हैं । जिसने सत्य बोलकर जनता से विश्वास पाया, उसने सब कुछ पाया, सत्य बोलने की सब जगह प्रतिष्ठा होती है, उसका कोई भी काम कभी नहीं रुकता ।
सत्य की सीख :
प्यारी कन्याओ ! तुम सदा सत्य बोला करो । जो लड़कियाँ झूठ बोलने वाली होती हैं, उनका काई विश्वास नहीं करता । सब लाग उनको घृणा का दृष्टि से देखते हैं और जा कन्याएं सत्य बालतो है उनका माता-पिता आदि बड़े भी विश्वास करते हैं, साथ ही सहेलियों में भी उनको सम्मान मिलता है, पास पड़ौस के सब लोग उनकी प्रशंसा करते हैं । और उनसे दूसरी छोटा लड़कियो का भी शक्षा मिलती है ।
तुमने झूठ बोलने वाले गड़रिये की कहानी तो सुनी ही होगी ? जब वह लड़का जंगल में भेड़ें चराने जाता तो लोगों को हँसी मजाक करने के लिए झूठ में ही चिल्ला उठता था - " लोगों दौड़ों-दौड़ा
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