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समय की परख १७
पुस्तकें सुनाओ। मतलब यह है, कि - " खाली न बैठो, कुछ न कुछ सत्कर्म करती रहो ।" जीवन में काम बहुत है, समय थोड़ा है । अतः दिन-रात बराबर प्रयत्नशील रहकर ही मनुष्य समय का सदुपयोग कर सकता है । एक पल भी व्यर्थ खोना, एक अमूल्य कोहेनूर हीरे के खोने से भी बढ़कर हानिकारक है। सीने-पिरोने आदि के छोटे-से-छोटे काम भी सदाचार के सूत्र हैं। बेकार समय में तो आलस्य, दुर्विचार आदि घेर लेते हैं । सतत् क्रियाशील जीवन के समय उन दुर्गुणों को आने का कभी साहस ही नहीं होता ।
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