________________
अस्वच्छता
५. क्रोध न करना ! २. लोभ न करना ! ३. छल न करना ! ४. घमण्ड न करना ! ५. चोरी न करना ! ६. झूठ न बोलना ! ७. कुविचार न करना ! ८. विश्वासघात न करना ! ६. किसी को निन्दा न करना ! १०. मोह न करना आदि, आदि !
दूसरा नम्बर शरीर की स्वच्छता का है। इस पर भी बहुत अधिक लक्ष्य रखना चाहिए । जन-धर्म जहाँ मानसिक स्वच्छता पर जोर देता है, वहाँ शारीरिक स्वच्छता पर भी जोर देता है। जो लोग कहते हैं कि जैन धर्म में गन्दा रहना बताया गया है, वे अभी तक जैन-धम को तनिक भो न पढ़ पाये हैं । जन-धर्म जैसा स्वच्छता और विवेक पर जोर देने वाला धर्म है, वैसा दूसरा कोई धर्म नहीं ।
शारीरिक अस्वच्छता को दूर करने के लिए नीचे लिखी बातों पर खासतौर से लक्ष्य रखना चाहिए।
१. हाथ-मुंह शरीर ये गन्दे नहीं रखना ! २. सिर गन्दा नहीं रखना ! ३. वस्त्र, घर, आँगन गन्दा नहीं रखना ।
बिछौना गन्दा नहीं रखना ! पानी बिना छाना नहीं पीना !
छलना गन्दा, फटा हुआ नहीं रखना ! ७. आटा बहुत दिनों का नही रखना ! ८. शाक वगैरह बहुत दिनों के नहीं खाने !
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org