Book Title: Adarsh Kanya
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 38
________________ अपरिग्रह आवश्यक क्यों ? : २६ हैं, और मिठाइयों का चटोरपन तो बड़ा ही खराब है । लोग इस खाने-पीने की चीजों के फेर में पड़ जाते है, वे हर तरह से बर्वाद हो जाते हैं । उनका सारा जीवन खाने की धुन में ही समाप्त हो जाता है । मानव जीवन का कोई भी महत्वपूर्ण काम उनसे नहीं हो पाता । क्या न्योता खाने वाले मथुरा के पंडों को तुमने नहीं देखा ? वे सिवाय भोजन करने के और किसी काम के नहीं रहते अतः हमारा जीवन भोजन के लिए नहीं है, अपितु जीवन के लिए. प्रोजन है । -नारी के चिन्ह : तुम भारत की देवियाँ हो, आगे चलकर तुम्हें अपने घर में गृहलक्ष्मी बनना है । भोजन के चटपटेपन के फेर में पड़कर तुम सच्ची ह-लक्ष्मी नहीं बन सकती । भोजन में हमेशा सादगी का ध्यान खो। घर में जैसा भी रूखा-सूखा भोजन बना हो, प्रसन्नता के साथ उपयोग में लाओ । साधारण भोजन पाकर नाक-भौंह चढ़ाना अच्छी त नहीं है । इस प्रकार अन्न का अपमान होता है। किसी दूसरे के हाँ भोजन करने जाओ जो जैसा भी मिले आनन्द पूर्वक उपयोग में आओ याद रखो, जो कभी किसी के भोजन की निन्दा और नुक्ता नी करता है, वह कभी आध्यात्मिक दृष्टि से ऊँचा नहीं उठ कता । भगवान् महावीर ने 'भक्त कथा' करना पाप बतलाया है क-कथा का अर्थ है - "भोजन की अच्छाई और बुराई के निर्णय के ए स्वाद की दृष्टि से नुक्ता चीनी करना ।" भोजन में हर प्रकार सादगी का नियम रखना, सु-नारी का सर्व प्रथम चिन्ह है । | किस लिए हैं : दूसरा नम्बर वस्त्रों का है । वस्त्रों में जितनी सादगी रखोगे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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