Book Title: Adarsh Kanya
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 33
________________ २४ : आदर्श कम्या अतः तुमसे उसको सहायता मिलनी चाहिए, या तिरस्कार ? समझलो, तुमको भी दूसरे घर में जाना है, किसी की भाभी बनना है ? तुम वहाँ क्या करोगी? जब तुम्हारी ननद के द्वारा तुम्हारा अपमान होगा, तब तुम्हें कितनी पीड़ा होगी ? जो जंसा करता है, वैसा पाता है । तुम्हें भी अपनी करनी का फल जरूर मिलेगा ! भाभी की बात पर लम्बा लिखने का यह अभिप्राय है- कि प्रायः लड़कियाँ लड़ने-झगड़ने की आदत भाभी से ही प्रारम्भ करती हैं, अतः प्रारम्भ से ही इस दुर्गुण से बचने का प्रयत्न करना चाहिए । संसार का यह नियम है- प्रेम से प्रेम मिलता है और द्व ेष की पहचान : स्त्रियाँ प्रायः कानों की कच्ची हुआ करती हैं। झूठी सच्ची कुछ भी किसी के सम्बन्ध में सुन लेती हैं और उसी पर विश्वास कर लेती हैं, फलतः घर में प्रेमी से प्रेमी व्यक्ति के साथ भी झगड़ा करने को तैयार हो जाता हैं । परन्तु याद रक्खा, जो लोग तुमसे किसी की शिकायत करते हैं और तुमसे चिकनी-चुपड़ी बात बनाते हैं, तो समझ लो वे तुम्हारे मित्र नहीं, शत्रु हैं । उनकी बातों में कभी मत आआ । झूठी शिकायत करने वाली स्त्रियों से सावधान होकर रहो । वे तुमको क्रोध मे पागल बनाकर तुम्हारे घर का तमाशा देखना चाहती हैं । कलह वर्जित ही है J : बहुत-सी स्त्रियों का यह स्वभाव होता है, कि वे अपने दोषों को छिपाने के लिए अथवा अपने आपको निर्दोष प्रमाणित करने के लिए भी झपड़ा करने पर उतारू हो जाती हैं, वे समझती हैं, कि झगड़ा करने से ही लोग हमको निर्दोष समझेंगे । उनका विश्वास For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org शत्रु Jain Education International

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