Book Title: Adarsh Kanya
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 35
________________ मनुष्य की इच्छाएं अनन्त हैं, उन सबकी पूर्ति असम्भव है । इच्छाएं पूर्ण न होने से मनुष्य दुखी हैंइच्जाएं चैन नहीं लेने देती हैं । दर्शन शास्त्र के मनस्वी विचारक मनिजी का कहना है- सुख इच्छा पूर्ति से नहीं, सन्तोष से ही सम्भव है । सुवोध शैली में उनके विचार पढ़िए, आपको मीठे दूध की-सी मिठास आएगी। अपरिग्रह आवश्यक क्यों ? अपरिग्रहवाद का सिद्धान्त, वैसे तो बहुत गम्भीर एवं व्यापक है । उसकी सब बारीकियां तो पुराने धर्म-ग्रंथों के अध्ययन से ही की जा सकती है। परन्तु तुम अभी बच्ची ही हो, अतः न तुम्हें इतनी गम्भीरता में उतरना है और न अभी इसकी इतनी आवश्यकता ही है। हां, इसकी रूपरेखा तुम्हें बतलाई जा रही है, आशा है, तुम इस पर ही चलने का प्रयत्न करोगी और अपने को सुखी बना सकोगी। ____मनुष्य सुख चाहता है, यह निर्विवाद है । अतः अब इस बात का पता लगाना है, कि सूख है क्या चीज? जब हम सुख की परिभाषा संसारी पदार्थों को लेकर करते हैं. तो यह ठीक नहीं रहती। क्योंकि हम देखते हैं, कि विभिन्न मनोवृत्ति के कारण किसी को कोई चीज सुखकर मालूम होती है, तो किसी को कोई दुखकर । परन्तु भगवान् महावीर ने सुख का वास्तविक लक्षण बताया है, कि-"सच्चा सुख अपनी इच्छाओं को कम करने में है ?' इच्छाओं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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