Book Title: Adarsh Kanya
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 32
________________ कलह दूषण है : २३ खुशी-खुशी झट-पट पालन करो। अगर कभी तुम्हारा कहना न माना जाए, तो लड़ो मत । प्रेमपूर्वक अपनी बात मनवाने का प्रयत्न करो। साथ ही सहेलियों से हमेशा मिलजुल कर रहो, कभी भी आपस में झगड़ा न करो । नारो घर की रानी है : बिना नारी के घर, घर नहीं कहलाता । वह भयंकर श्मसान है, जिसमें नारी का साम्राज्य नहीं ! बिना नारी के घर में रमणीयता, सरसता और प्रेम कहाँ मिल सकता है ? परन्तु नारी के लिए यह ऊँचा पद वहन करना ही बहुत कठिन है । बहुत-सी नारियाँ कलह के कारण स्वर्ग के से घर को नरक बना देती हैं। दिन भर उनके कलह का बाजार गर्म रहता है । किसी से लड़ती हैं, किसी की शिकायत करती हैं, जरा-जरा-सी बात पर मुंह चढ़ा लेती हैं, खाना-पीना छोड़ देती हैं, गालियाँ देती हैं, और ताना मारती हैं । प्रेम से प्रेम मिलता है : तुम अभी घर में पुत्री और बहन के रूप में हो। तुम्हारे भाई की पत्नी भाभी तुम्हें सहेली के रूप में मिली है भाभी के साथ बहुत प्रेम के साथ हिल-मिल कर रहो। ननद का पद, भाभी के साथ साथीपन का है, सहायता पहुँचाने का है, खुश रहने का है, और प्रेम से दो बात कहने का है तंग करने का नहीं । बहुत-सी लड़कियाँ अपनी मामी से बहुत झगड़ा करती हैं, गालियाँ देती हैं, बात-बात पर उसका तिरस्कार करती हैं, और घर में भाई आदि से शिकायत करती हैं। भाभी को भूखी और कंगाली बताना तथा परिहास में फूहड़ कहना, बिल्कुल अनुचित है। तुम समझती हो, भाभी ने तुम्हारे घर में जन्म नहीं लिया है । परन्तु देखो वह भी कहीं से बहन और पुत्री के रूप में रहकर ही तो तुम्हारे यहाँ बहू बनकर आई । नया घर है, नया परिवार है, नया वातावरण है, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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