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विचार-वैभव : ५ जाएं ? शुभ विचार उत्तम संगति से और,उतम पुस्तक पढ़ने से प्राप्त होते हैं। मनुष्य जैसी सगति म रहता है, वैसे ही उसक विचार हात हैं । फिर वह संगति, चाह मनुष्य की हा, चाहे पुस्तकों का। ____ अपने विचारों को पवित्र आर उतम वनाने क लिए सदा सच्चरित्र सुशाल कन्याओं क साथ रहा। जब कभा अवसर मिल, घर को बड़ी-बूढ़ी स्त्रिया क पास बैठकर उनस उत्तम शिक्षाएँ ला। गाँव में जब कभा गुरुदेव आ जाय, ता उनक प्रवचनादि स भो लाभ उठाओ। जब कभी साध्वोजा महाराज आएं तो यथावसर उनक पास भी जाआ और ज्ञान प्राप्त करा । इसक विपरात बुरे स्वभाव बााली आचरणहीन लड़ाकयों से बचा ओर जो स्त्रियाँ झगड़ालू एवं निन्दा, बुराई करने वाली हो, उनसे भी दूर रहा। साधुत्व के भेष में फिरने वाले पाखण्डी पुरुषों स भी सावधान रहो। पता नहीं, कब बुरी संगति से उत्पन्न बुरे विचार तुम्हारे मन में घिर आएँ । एक बार भी बुरे विचार आ गए, तो भले विचारों को दबा लेंगे, उनमें दूषण पदा कर देंगे, और सदा के लिए अपना आसन जमा लेंगे। तुमने कभा देखा हागा थोड़ी सी खटाई भी बहुत सारे उत्तम दूध को फाड़ डालता है । सदव भली सगात म रहने से ही मनुष्य के विचार अच्छे आर पावन हात है । आपकी सच्ची सहेलियाँ :
शुभ विचारों का प्राप्त करने का दूसरा साधन अच्छी पुस्तक हैं । उत्तम पुस्तकें जीवन में बहुत बड़े ज्ञान का प्रकाश देती है। पुस्तकें मूक अध्यापिकाएँ हैं, जो न कभी मारती है, न कभी झिड़कती हैं, न झुझलाती है, किन्तु चुपचाप अच्छी-अच्छी शिक्षाएँ देती रहती हैं। पुत्रियों ! तुम अच्छी चुनी हुई पुस्तकों को भी अपनी सहेली बनाओ। जब कभी समय मिले, कोई अच्छा सा किसी
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