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प्रस्तुत लेख में मनुष्य के विचारों को एक विराट् शक्ति माना है और लेखक का दृढ़ विश्वास है कि अगर आपके पास विचार शक्ति है, तो दुनियाँ की हर मुश्किल, हर वक्त आसान है।
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विचार-वैभव
मनुष्य विचारों के द्वारा ही संकीर्णताओं से ऊपर उठता है, और विचारों के द्वारा ही संकीर्णता के अंध-कूप में या गर्त में गिरता है। विचार ही उत्थान का मार्ग है, और विचार हो पतन का। विचारों के द्वारा ही मनुष्य सतह के ऊपर तैरता है, और विचारों के द्वारा ही अतल में पहुँच जाता है। मनुष्य पतन के मार्ग से बचकर चलता है, तो वह भी विचारों की महाशक्ति के माध्यम से ही । ___ कल्पना कीजिए, एक व्यक्ति है और वह दुकान पर बैठा है। मालिक अभी-अभी उठकर कहीं चला गया है । उसका मन हुआ कि गल्ले में से कुछ पैसे उठा लू ! पर तत्क्षण विचार आया, नहीं !! यह काम अनैतिकता है, चोरी है, अपराध है ! किसी व्यक्ति ने नियम लिया हुआ है, कि रात्रि में भोजन नहीं करूंगा । परन्तु कभी मन हो आया थोड़ा खा पी लिया जाय, तो क्या हर्ज है ? बढ़िया माल है ! खाने को तत्पर होता है, हाथ भी आगे बढ़ जाते हैं, परन्तु तभी विचारों का करंट लगा और वह ठिठक गया। सोचने लगा। नियम मैंने दूसरों को दिखाने के लिए थोड़े ही लिया है। नियम, अपनो ईमानदारी और सच्चाई के लिए होता है। दूसरों की आँखे देता हैं
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