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आओ संस्कृत सीखें
पाठ-1
वर्तमान काल 1. जो क्रियाएँ अभी चल रही हों, उसे बतानेवाले काल को वर्तमान काल
कहते हैं
जैसे-मैं चलता हूँ, मैं खाता हूँ, इत्यादि 2. वर्तमानकाल का निर्देश करने के लिए धातु के साथ वर्तमाना विभक्ति के
प्रत्यय लगते हैं। 3. धातु तीन प्रकार के होते है-परस्मैपदी, आत्मनेपदी तथा उभयपदी । 4. परस्मैपदी धातुओं के साथ परस्मैपदी के प्रत्यय लगते हैं । पठ् + ति 1. वर्तमान काल-परस्मैपद के प्रत्यय
पुरुष एक वचन द्विवचन बहुवचन पहला मि
वस्
मस् दूसरा
थस् तीसरा
तस्
अन्ति 5. ति आदि प्रत्यय लगने पर धातु को 'अ'विकरण प्रत्यय लगता है |
जैसे पठ् + अ + ति = पठति 6. म् और व् से प्रारंभ होनेवाले प्रत्ययों के पहले अहो तो उसका आ हो जाता है पठ् +
अ + मि = पठ् + आ + मि = पठामि । 7. 'ति' आदि प्रत्यय जिसे लगे हो उसे 'पद' कहते हैं, जैसे-पठति । 8. पद के अंत में 'स्' हो तो उसका 'र्' हो जाता है जैसे पठतस् का
पठतर्. 9. पद के अंत में रहे 'र' के बाद विराम हो अथवा अघोष व्यंजन हो तो उसका विसर्ग
हो जाता है
जैसे-पठतस् = पठतः, नमतः पठतः । 10. अ के बाद अ या ए आए तो पूर्व के अ का लोप होता है, परंतु पद के
प्रारंभ में अ या ए आए तो पहले के अ का लोप नहीं होता है ।