________________
आओ संस्कृत सीखें
1259
- धातुएँ अभि + क्रुध् = क्रोध करना कम्प् = कंपना, धूजना (गण 1 आत्मनेपदी) नि + वस् = रहना, निवास करना (गण 1) परि + त्यज् = त्याग करना, छोड़ देना वप् = बोना (गण 1, उभयपदी) वि + श्रम् = विश्राम करना (गण 4 परस्मैपदी)
कृदन्त आदिष्ट = आदेश किया हुआ (आ + दिश् + त) गत = गया हुआ (गम् + त) जात = जन्मा हुआ (जन् (जा) + त) प्रदत्त = दिया हुआ (प्र + दा + त) प्रविष्ट = प्रवेश किया हुआ (प्र + विश् + त) विश्रान्त = थका हुआ (वि + श्रम् + त) स्थित = रहा हुआ (स्था + त) पतित = गिरा हुआ (पत् + त) पीत्वा = पीकर (पा + त्वा) रन्तुम् = खेलने के लिए (रम् + तुम्)
संस्कृत में अनुवाद करो 1. दुर्योधन ने जुए द्वारा पांडवों को जीता था । 2. पांडव हस्तिनापुर छोड़कर वन में गए । 3. आज रात्रि में यहाँ सिंह आया हुआ है । 4. उसने दूध लाकर हमको दिया । 5. वह पानी पीकर खेलने गया । 6. वजन (भार) घर ले जाकर उसने विश्राम किया । 7. वह देव होकर स्वर्ग में पैदा हुआ | 8. मेरे द्वारा आज वहाँ नहीं जाया गया । 9. वन में रही सीता को रावण लंका में ले गया । 10. किसान खेत में बीज बोने गए |