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आओ संस्कृत सीखें
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पाठ-35
तद्धित 1. समास से भी ज्यादा संक्षेप करने के लिए भिन्न-भिन्न अर्थों में नाम के साथ अण
आदि प्रत्यय लगते हैं, वे प्रत्यय-तद्धित-प्रत्यय कहलाते हैं |
जनानां समूहः- जन + ता (तल्) जनता | 2. प्रकृष्ट अर्थ में नाम से तम (तमप) प्रत्यय लगता है | उदा. सर्वे इमे शुक्लाः अयम् एषां प्रकृष्ट शुक्लः
शुक्ल + तम = शुक्लतमः (अत्यंत सफेद) 3. दो की तुलना में श्रेष्ठ बताना हो तो तर (तरप्) प्रत्यय लगता है |
द्वौ इमौ पटू ! अयं अनयोः प्रकृष्टः पटुः, पटुतरः ।
पटु + तर = पटुतरः ये दो होशियार हैं, इन दोनों में यह ज्यादा होशियार है । उदा. 1. चैत्रात् मैत्रः पटुतरः ।
चैत्र से मैत्र होशियार है | 2. ब्राह्मणेभ्यः क्षत्रियाः शूरतराः ।
ब्राह्मणों से क्षत्रिय ज्यादा शूरवीर हैं । गुणवाचक शब्द द्रव्य का विशेषण हो तो उस शब्द से 'तम' और 'तर' के अर्थ में इष्ठ और ईयस् (ईयसु) प्रत्यय विकल्प से होते हैं ।
उदा. पटु + इष्ठ = पटिष्ठः = खूब होशियार
पटु + ईयस् = पटीयस् = दो में ज्यादा होशियार 4. इष्ठ और ईयस् प्रत्यय पर प्रशस्य का श्र आदेश होता है ।
श्र + इष्ठ = श्रेष्ठः
श्र + इयस् = श्रेयस् 5. ईयस् अंतवाले नामों को घुट् प्रत्यय पर स् के पहले न् जुडता है |
पटीयस् + 0 = पटीयन्स् + 0