Book Title: Aao Sanskrit Sikhe Part 01
Author(s): Shivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
Publisher: Divya Sandesh Prakashan

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Page 207
________________ आओ संस्कृत सीखें 2182 मन्-ग.4.आ. = मानना । लघु-ग.1.आ. = उल्लंघन करना । मान् ग.10.प. = मानना, पूजना ।। | लभ-ग.1.आ. = प्राप्त करना, पाना । मिल ग.6.प. = मिलना । लिख-ग.6.प. = लिखना । मुच् (मुञ्च्)-ग.6.प. = छोड़ना, रखना। लुट्-ग.4.प. = आलोटना । मुद्-ग.1.आ. = खुश होना । लुप्-ग.4.प. = लुप्त होना । मुह-ग.4.प. = मोहित होना । लुभ-ग.4.प. = लोभ करना । मूल-ग.10.प. = मूल डालना, बोना । | लोक्-ग.1.आ.,ग.10.प = देखना । उद्+मूल = उखाड़ देना । वि+लोक् = विलोकन करना । मृग-ग.10.आ. = शोध करना, मार्ग वद्-ग.1.प. = बोलना । निकालना । वि+सम्+वद् = विपरीत बोलना, निष्फल यत्-ग.1.आ. = यत्न करना । होना । प्र+यत् = प्रयत्न करना । वन्द्-ग.1.आ. = वंदन करना । याच-ग.1.उभ. = मांगना । वप् ग.1.उभ. = बोना । युज-ग.4.आ. = योग्य होना । वर्ज-ग.10.प. = त्याग करना, छोड़ देना। युध्-ग.4.आ. = युद्ध करना । | परि+वर्ज = छोड़ देना । रच-ग.10.प. = रचना करना । | वर्ण-ग.10.प. = वर्णन करना, रंगना । वि+रच् = रचना करना, बनाना । वस्-ग.1.प. = रहना । रट्-ग.1.स. = रोना, पढ़ना । नि+वस् = रहना, निवास करना । रम्-ग.1.आ. = खेलना । वह्-ग.1.उभ. = वहन करना, बहना । वि+रम्-ग.1.प.=विराम पाना, रुक | वाञ्छ्-ग.1.प. = इच्छा करना । जाना। | विद्-ग.4.आ = विद्यमान होना । रक्ष्-ग.1.प. = रक्षण करना, संभालना । | विश्-ग.6.प = प्रवेश करना । राज्-ग.1.उभ. = शोभना, राज्य करना। | प्र+विश् = प्रवेश करना । रुच-ग.ब.आ. = पसंद पड़ना । | उप+विश् = बैठना । रुष्-ग.4.प.= क्रोध करना, गुस्सा करना। | वृत्-ग.1.आ. = होना । अनु+रुध्-ग.4.आ. = इच्छा करना, | प्र+वृत्त = प्रवर्तना ।। मानना । परि+वृत् = बदलना । रुह-ग.1.प. = चढ़ना । वृध्-ग.1.आ. = बढ़ना । .आ+रुह = चढ़ना । वृष-ग.1.आ. = बरसना ।

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