Book Title: Aao Sanskrit Sikhe Part 01
Author(s): Shivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
Publisher: Divya Sandesh Prakashan
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आओ संस्कृत सीखें
जीव् ग. 1.प. = जीना, आजीविका चलाना । निन्द् - ग. 1.5.
डी. गण. 1. आ. = उड़ना ।
उद्+डी
= उड़ना ।
तड् ग.10.प. = ताड़न करना, मारना ।
तप् ग. 1.प. = तपना ।
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निंदा करना ।
=
नी. ग. 1. उभय = ले जाना । आ+नी = लाना ।
नृत् ग. 1.प. = नृत्य करना । |पच्-ग.1.उभय = पकाना ।
|
पठ् - ग. 1.प. = पढ़ना |
गिरना ।
नि+पत् नीचे गिरना ।
=
तोलना ।
तुल् ग.10.प. =
तुष् - ग. 4.प. = खुश होना, संतोष पाना । पत्-ग.1.प. =
तृप् ग.4.प. = खुश होना ।
तैरना |
|पल् ग. 1.प. = पालन करना, रक्षण करना । पा (पिब्) ग. 1.प. = पीना ।
=
तृ - ग. 1. प. त्यज् ग.1.प. = त्याग करना, छोड़ देना । परि+त्यज् = त्याग करना, छोड़ना । दण्ड् - ग. 10.प. = दंड़ देना । दह् - ग.1.प. = जलना, जलाना । दा (यच्छ्)-ग.1.प. = देना, दान करना प्र+दा = देना |
दिश् –ग.6.उभ. = बताना, दान देना । आ+दिश् = आदेश देना ।
उप + दिश् = उपदेश देना ।
दीप् - ग. 4. आ = जलाना, प्रकाशना । दृश् (पश्य् ) - ग. 1.प. = देखना । द्युत् - ग. 1.आ. = प्रकाशना । वि+द्युत् = प्रकाशित होना, चमकना । द्रुह् - ग. 4. प. मारने की इच्छा करना । अभि + द्रुह् = द्रोह करना ।
=
अनु+भू = अनुभव करना, जानना । प्र+भू = उत्पन्न होना, समर्थ होना । अभि+भू = तिरस्कार करना । भूष्- ग. 10.प. = शोभा करना । भृ - ग. 1. उभ. = पोषण करना । मद् (माद्) ग. 4.प. = मस्त होना, भूल
द्रु - गण. 1. प = झरना, भीगना । धाव् -ग.1.प. = दौड़ना, भागना । ध्यै (ध्याय्) - ग.1.प. = ध्यान करना । नम् - ग. 1.प. = नमस्कार करना । नश् - ग. 1.प. = नाश होना, भाग जाना । प्र+मद् :
जाना ।
| पीड्-ग.10.प. = दुःख देना, पीड़ना । |पुष्- ग.4.प. = पोषण करना, पोषना 1 पूज्- ग. 10.प. = पूजा करना, पूजना । । पृ.ग. 10. प = पार करना, पूर्ण करना । प्रच्छ् (पृच्छ्) - |फल्- ग. 1.प. = फलना, साकार होना ।
1 - ग. 6. प. = प्रश्न करना ।
भज् ग.1.उभ. = भजना |
भण्- ग. 1.प. = कहना, पढ़ना ।
भक्षू - ग. 10.प. = भक्षण करना, खाना । भाष्- ग. 1.आ. = बोलना, भाषण करना । भू. ग. 1. प = होना ।
= प्रमाद करना ।

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