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आओ संस्कृत सीखें
21723 हे मुसाफिर, जा या रह (मैंने) खुद की अवस्था सचमुच कहकर बता
दी है। 19. सर्प क्रूर है और दुर्जन क्रूर है, परंतु सर्प से दुर्जन ज्यादा क्रूर है, सर्प
मन्त्र से शान्त किया जाता हैं, मगर दुर्जनको किसी भी तरह शान्त नहीं
कर सकते। 20. पुत्र, स्त्री और मित्रजन सभी धन से रहित को छोड़ देते हैं, पैसेवाले
होने पर फिर से उनका आश्रय करते हैं । लोक में सचमुच, पैसा ही पुरुष का बंधु है।
पाठ-36
हिन्दी का संस्कृत अनुवाद 1. हे राजन् ! त्वं प्रजां पालय | 2. अस्याः कन्यायाः कबर्यां द्वे दाम्नी स्तः । 3. युष्माकं बन्धो नाम कथय । 4. अस्मिन् राज्ञि प्रभूतः पराक्रमोऽस्ति । 5. राजमहिष्यौ रथ उपविशष्योद्यानं अगच्छतः । 6. बालेनाकाशे शश्यदृश्यत । 7. गुणी गुणं पश्यति न दोषम् । 8. भाव्यन्यथा न भवति । 9. योगिनः शिखरिणां गुहासु वसन्ति । 10. हस्तिनो मूर्धनि मौक्तिकं जायते ।
संस्कृत का हिन्दी अनुवाद 1. अहो ! इस राजा के विवेक की सीमा ! 2. उनके घर में अनाज के ढ़ेर की तरह रत्नों के ढ़ेर हैं | 3. स्वयं को प्रतिकूल आचरण दूसरों के साथ न करें । 4. राजाओं में विद्या पूजित है, परंतु धन नहीं ।