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आओ संस्कृत सीखें
11771शोभा देते हैं। 9. दिन में उल्लू नहीं देखता, कौआ रात को नहीं देखता | कामान्ध कोई अपूर्व है, जो
दिन और रात नहीं देखता है। 10. शिशिर ऋतु में अग्नि अमृत है, प्रिय का दर्शन अमृत है, राजा का सन्मान अमृत है, और दूध का भोजन अमृत है।
सुभाषितानि 1. पुरुष का आभरण रूप है, रूप का आभरण गुण है, गुण का आभरण ज्ञान है और ज्ञान
का आभरण क्षमा है। 2. विद्या समान नेत्र नहीं, सत्य समान तप नहीं, लोभ समान दुःख नहीं और त्याग समान
सुख नहीं है। 3. उद्यम, साहस, धैर्य, बुद्धि, शक्ति और पराक्रम ये छह जिसमें होते हैं, उस पर देव
प्रसन्न होते हैं। 4. असती स्त्री लज्जावाली होती है, खारा पानी शीतल होता है । दंभी,
विवेकी होता है, और धूर्तजन प्रिय बोलनेवाला होता है ।। 5. यह खुद का अथवा पराया है, इस तरह की गिनती तुच्छ मनवालों की
होती है, उदार मनवालों के लिए तो पृथ्वी ही कुटुम्ब है ।। 6. देना चाहिए, भोगना चाहिए, वैभव हो तो संचय नहीं करना चाहिए । देखो, यहाँ भौंरों के
द्वारा एकत्र किये मधु को दूसरे लेकर जाते हैं। 7. चींटियों द्वारा उपार्जित अनाज, मक्खियों के द्वारा इकट्ठा किया मधु, लोभियों के द्वारा
एकत्र किया द्रव्य, जडसहित विनाश पाता है । 8. कृपण मनुष्य खुद के हाथ में रहे मांस की तरह धन का रक्षण करते हैं, और सज्जन
मनुष्य उस द्रव्य का मैल की तरह दान करते हैं। 9. पर्वत बड़ा है, पर्वतसे समुद्र बड़ा है, समुद्रसे आकाश बड़ा है, आकाश से भी ब्रह्म
(ज्ञान) बड़ा है और ब्रह्म से भी आशा बड़ी है । 10. आशा सचमुच मनुष्य की कोई आश्चर्ययुक्त बेड़ी है, जिससे बँधा हुआ
(मनुष्य) दौड़ता है, (और) मुक्त हुए पंगु की तरह खड़े रहते हैं | 11. सचमुच, मूरों को उपदेश कोप के लिए होता है, शान्ति के लिए नहीं