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आओ संस्कृत सीखें
178 होता है । सर्पो को दूध का पान केवल विष बढ़ानेवाला होता हैं। 12. जिसके पास धन है, वह मनुष्य कुलवान है, वही वक्ता है, और वही दर्शनीय है, वही
पंडित है, वही श्रुत (ज्ञान) वाला है और गुण को जाननेवाला है, सब गुण सुवर्ण के
आश्रित रहते हैं। 13. मनोहर अच्छे मुख से बोलता है, और सचमुच तीक्ष्ण चित्त द्वारा प्रहार करता है |
स्त्रियों की वाणी में शहद होता है और हृदय में भयंकर जहर होता है। 14. भूमि के नाश में अथवा बुद्धिशाली नौकर के नाश में राजा का नाश ही है, उन दोनों को
समान कहा गया, (वह) सचमुच बराबर नहीं है, क्योंकि) नष्ट हुई भूमि सुलभ है,
परंतु नष्ट हुए नौकर सुलभ नहीं । 15. दिन के पूर्वार्ध की छाया प्रारंभ में बड़ी और क्रम से क्षयवाली (कम-कम)
होती है, (दिन के दूसरे भाग की छाया) पहले छोटी और फिर वृद्धिवाली होती है । वैसे खल और सज्जन की दोस्ती दिन के पूर्वार्ध और परार्ध की
छाया की तरह भिन्न भिन्न होती है । 16. बाघ, हाथी आदि द्वारा सेवित, मनुष्य से रहित और बहुत काँटों से
युक्त वन अच्छा । (वनमें) घास की शय्या और पहनने के लिए वृक्ष की छाल होती है । (ये सब ठीक) परंतु धनहीन होकर भाइयों के बीच रहकर
जीना अच्छा नहीं है। 17. विपत्ति में धैर्य, अभ्युदय में क्षमा, सभा में वाणी की पटुता, युद्ध में पराक्रम,
यश में अभिरुचि, शास्त्र-श्रवण का व्यसन, सचमुच महात्माओं को ये स्वभाव सिद्ध हैं।