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आओ संस्कृत सीखें उदा. क्षत्रियवद् ब्राह्मणाः युध्यन्ते
क्षत्रियों की तरह ब्राह्मण लड़ते हैं । मुनिं देववत् पश्यन्ति ।
मुनि को देव की तरह देखते हैं । 13. भाव अर्थ में त्व और ता (तल्) प्रत्यय लगता है त्व नपुंसक में और ता स्त्रीलिंग में लगता है।
देवस्य भावः देवत्वम् । शुक्लस्य भावः शुक्लता ।
शब्दार्थ दार = पत्नी (पुं.) (बहुवचन) महत् = बड़ा (विशेषण) अरि = दुश्मन (पुंलिंग) कृपालु = कृपावाला (विशेषण) पराभव = हार (पुंलिंग) निवेदित= निवेदन किया हुआ (विशेषण) बन्धु = भाई (पुंलिंग)
पराभूत = हारा हुआ (विशेषण) भार = समूह (पुंलिंग)
प्रशस्य = प्रशंसनीय (विशेषण) वेग = तीव्र गति (पुंलिंग) विहीन = रहित (विशेषण) सुहृद् = मित्र (पुंलिंग)
स्तोक = थोड़ा (विशेषण) संपद् = संपत्ति (स्त्री लिंग) कथंचन = किसी भी प्रकार से (अव्यय) प्रवृत्ति = कार्य (स्त्री लिंग) क्वचित् = कभी (अव्यय) अवस्था = हालत (स्त्री लिंग) सर्वदा = हमेशा (अव्यय) बल = शक्ति, सैन्य (नपुं.लिंग) क्षीण = नष्ट हुआ (भूतकृदंत)
धातु उद् + वि + ईक्ष = देखना (गण 1 आत्मनेपदी) क्षि = क्षय होना, क्षीण होना (गण 1 परस्मैपदी) परि + वृत् = बदलना (गण 1 आत्मनेपदी)
___ संस्कृत अनुवाद करो 1. इस राजा की सेना बड़ी है और ज्यादा बलवान हैं । 2. इन बालिकाओं में ये दो बालिकाएँ खूब होशियार हैं | 3. इन दो बालकों में यह बालक ज्यादा अच्छा है ।