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आओ संस्कृत सीखें
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पाठ-25
हिन्दी का संस्कृत अनुवाद 1. आतपेन क्लान्ता जना वृक्षस्य छायायामाश्रयन्त | 2. लज्जा योषिताम् भूषणमस्ति । .. 3. धर्मो जगतः शरणमस्ति । 4. नृपः प्रधानेभ्यः कुप्यति । 5. बालेभ्यो मोदका रोचन्ते । 6. बालो मोदकाय स्पृहयति । 7. युधि योद्धा युध्यन्ते ।
संस्कृत का हिन्दी अनुवाद 1. धर्म आपत्ति में शरण है । 2. गगन में बिजली चमकती है | 3. हवा से समुद्र में खलबलाहट होती है | 4. वीर पुरुषों के लिए युद्ध सचमुच हर्ष का कारण है | 5. कुंभकार द्वारा मिट्टी के बर्तन बनाए गए । 6. कारण के जैसा कार्य जगत् में दिखता है । 7. बादल शरद ऋतु में बरसता नहीं है, और गर्जना करता है । वर्षाऋतु में
गर्जना रहित बरसता है। 8. उदार को धन तृण समान है, शूरवीर को मरण तृण समान है, वैरागी को पत्नी तृण समान है, और स्पृहारहित को जगत् तृण समान है |
पाठ-26
हिन्दी का संस्कृत अनुवाद 1. एष मम जनक आगच्छति । 2. तानि दुःखानि न स्मराम्यहम् । 3. असौ शोभनः प्रासादो नृपस्यास्ति |