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आओ संस्कृत सीखें
116956. यह मुहूर्त बहुत विघ्नवाला है। .. --- 7. एकबार जिसका शील नष्ट हो गया ऐसी सती हमेशा असती है (फिर सती नहीं
कहलाती) 8. जो क्षण में रुष्ट, क्षण में तुष्ट और क्षणक्षण में रुष्ट-तुष्ट होते हैं, उनका चित्त
व्यवस्थित नहीं । उनकी मेहरबानी भी बड़ी भयंकर होती है | 9. वृक्ष की शाखा (यह) तत्पुरुष है, सफेद घोड़ा (यह) कर्मधारय है । लाल वस्त्र है जिसका वह (यह) बहुव्रीहि है | चन्द्र और सूर्य (यह) द्वन्द्व है |
पाठ-34
हिन्दी का संस्कृत अनुवाद 1. भवता राज्यभारो वहनीयोऽस्ति । 2. भवद्भिः सर्वैरेष ऋषिः पूजनीयोऽस्ति । 3. भवतो राज्ये सर्वत्र शान्तिर्भवतु | 4. अधुनैते ग्रन्था न लभ्याः । 5.. यूयं क्व गतवन्तः । 6. रतिलालात्शान्तिलालः पटुः । 7. रामो रावणं जयेत् । 8. एतौ द्वौ शिष्यौ योग्यौ स्तः तौ सिद्धान्तम् पठेताम् । 9. वयं दास्यो भवत्या आज्ञां कथयितुमुपनृपं गतवत्य आसन् । 10. अमुष्य नृपस्य त्रिषु प्रधानेष्विमौ द्वौ प्रधानौ श्रेष्ठौस्तः । 11. कवीनां सिद्धसेनो मुख्योऽस्ति ।
संस्कृत का हिन्दी अनुवाद 1. धर्म से अच्छा मित्र (दूसरा) नहीं। 2. आपका यह महल सचमुच रम्यदर्शनवाला है । 3. आपका कल्याण हो । 4. हे देवी ! आपका कल्याण हो । 5. आपके जाने पर हमारे लिए मरण ही शरण है ।