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आओ संस्कृत सीखें
21073समुदाय में से किसी को सर्वथा अलग किए बिना जाति, गुण आदि को मुख्य कर बुद्धि से अलग किया हो तो पंचमी विभक्ति के बदले षष्ठी या सप्तमी विभक्ति लगती है, इसे निर्धारण षष्ठी या निर्धारण सप्तमी कहते हैं। उदा. 1. क्षत्रियो नराणां नरेषु वा शूरः ।
क्षत्रिय मनुष्यों में शूरवीर है | यहाँ क्षत्रिय और नर सर्वथा भिन्न नहीं है, क्योंकि जो क्षत्रिय है, वह नर ही है।
2. चैत्रात् मैत्रः पटुः ।। चैत्र से मैत्र होशियार है । यहाँ चैत्र और मैत्र सर्वथा भिन्न होने से षष्ठी-सप्तमी विभक्ति नहीं होगी।
शब्दार्थ आदि = प्रारंभ (पुंलिंग)
योग्य = लायक (विशेषण) नायक = स्वामी (पुंलिंग)
श्रेष्ठ = मुख्य (विशेषण) राशि = ढ़ेर, समूह (पुंलिंग) खलु = निश्चय (अव्यय) वारिद = वर्षा (पुंलिंग)
नूनम् = निश्चित (अव्यय) सिद्धसेन = महाकवि आचार्य का नाम (पुं.) कथयितुं = कहने के लिए प्रतिक्रिया = उपाय (स्त्री लिंग) परिहर्तव्य = त्याग करने योग्य विपद् = आपत्ति (स्त्री लिंग) भवत् = आप (सर्वनाम) अंतिम = अंतिम (विशेषण)
अन्य = दूसरा (सर्वनाम) आद्य = पहला (विशेषण)
अवश्यम् = अवश्य, जरुरी (अव्यय) युक्त = योग्य (विशेषण)
धातु दीप = जलाना, प्रकाशना (गण 4 परस्मैपदी) श्लाघ् = प्रशंसा करना (गण 1 आत्मनेपदी) प्र वृत् = प्रवर्तना (गण 1 आत्मनेपदी)
संस्कृत अनुवाद करो 1. आपके द्वारा राज्य का भार उठाया जा सकता है । 2. आप सभी के द्वारा ये ऋषि पूजने योग्य हैं | 3. आपके राज्य में सर्वत्र शांति फैले । 4. हाल में ये ग्रंथ नहीं मिल सकते हैं । 5. तुम कहाँ गए थे ?