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5.
आओ संस्कृत सीखें
2106 :उदा.
1. गोपो धेनूः अरण्यं नीतवान: गोवाल गायों को जंगल में ले गया। 2. बाला वाप्या जलं घटेन गृहं नीतवत्यः ।
बालिकाएँ बावड़ी में से घड़े द्वारा पानी घर ले गईं । 3. मित्रं अश्वं ग्रामं नीतवत् । मित्र घोड़े को गाँव ले गया ।
कृत्य (विध्यर्थ) कृदन्त 3. तव्य, अनीय और य प्रत्यय कृत्य कहलाते हैं | 4. सकर्मक धातु को कर्मणि प्रयोग में और अकर्मक धातु को भावे प्रयोग में कृत्य प्रत्यय
लगने से कृत्य (विध्यर्थ) कृदन्त बनता है । उदा. कथ्यते इति कथनीयः कथनीया, कथनीयम्, स्थीयते इति स्थातव्यम्. कर्ता क्रिया करने में शक्तिशाली हो तब धातु को कृत्य प्रत्यय और विध्यर्थ-सप्तमी विभक्ति के भी प्रत्यय लगते हैं। उदा. 1.त्वया अयं भारो वहनीयः ।
तुम्हारे द्वारा यह भार उठाया जा सकता है । 2. त्वं अमुंभारं वहेथाः ।
तू इस भार को वहन कर | 3. त्वया व्याकरणं पठनीयम् ।
तेरे द्वारा व्याकरण पढ़ने योग्य है । 4. त्वं व्याकरणं पठेः ।
तू व्याकरण पढ़ | आज्ञा, अनुज्ञा और अवसर अर्थ में धातु को कृत्य प्रत्यय लगते हैं | उदा. 1. त्वया अत्र स्थातव्यम् ।
तुझे यहाँ रहना चाहिए। 2. त्वया अत: गन्तव्यम् ।।
तुझे यहाँ से जाना चाहिए। 3. अथ त्वया उद्याने गन्तव्यम् ।
अब तेरे द्वारा उद्यान में जाना चाहिए ।