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आओ संस्कृत सीखें 25. आगच्छज्झटिति देवदत्तः । 26. अतुष्यत बलीवर्देन तृणैः । 27. अपतल्लक्ष्मणो बाणेन । 28. कूपेऽपतड्डिम्भः । 29. अरक्षच्छीलं सीता।
पाठ-24
कृदन्त 1. धातु को प्रत्यय लगने के बाद धातु पर से जो शब्द बनते हैं, वे प्रत्यय कृत्
कहलाते हैं | जिन शब्दों के अंत में कृत् प्रत्यय हो वे शब्द कृदन्त
कहलाते हैं | 2. धातु को 'तुम्' प्रत्यय लगने से हेत्वर्थ कृदन्त बनता है ।
पा + तुम् = पातुम्
जलं पातुं गच्छति पानी पीने के लिए जाता है । 3. धातु को त्वा (क्त्वा) प्रत्यय लगने से संबंधक भूतकृदन्त बनता है ।
हृ + त्वा = हृत्वा रावण: सीतां हत्वा लडां गच्छति ।
रावण सीता को लेकर लंका में जाता है । 4. धातु के पहले उपसर्ग आदि अव्यय हो तो क्त्वा के बदले य होता है |
आ + नी + य = आनीय 5. धातु के अंत में ह्रस्व स्वर हो तो 'य' के पहले 'त्' आता है
उदा. वि + जि + त् + य = विजित्य एक क्रिया करके दूसरी क्रिया की जाती है तो उसे संबंधक भूत कृदंत कहते हैंउदा. वह भोजन करके घर जाता है ।
स भोजनं कृत्वा गृहं गच्छति । यहाँ जाने की क्रिया के पहले भोजन की क्रिया समाप्त हो गई है, अतः
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