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आओ संस्कृत सीखें
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पाठ-29
वर्तमान कृदन्त 1. एक क्रिया के साथ दूसरी क्रिया होती हो तो गौण क्रिया को बतानेवाले धातु को वर्तमान
कृदन्त के प्रत्यय लगते हैं। 2. वर्तमान काल में परस्मैपदी धातु को अत् (शतृ) और आत्मनेपदी धातु को आन (आनश्) प्रत्यय लगकर वर्तमान कृदन्त बनता है |
कर्तरि वर्तमान कृदन्त गम् + अत् गम् + अ + अत् गच्छ + अ + अत् = गच्छत् नृत्यत्, विशत्, चोरयत् आत्मनेपदी के आन प्रत्यय के पहले अ हो तो उस 'अ' के बाद में 'म्' जोड़ा जाता है । उदा. 1. ईक्ष + अ + आन
ईक्ष + अ + म् + आन = ईक्षमाणः ____2. वृत् का वर्तमानः चन्द्रमीक्षमाणाचकोरा मोदन्ते । चंद्र को देखते हुए चकोर पक्षी खुश होते हैं ।
कर्मणि वर्तमान कृदन्त गम् + य + म् + आन = गम्यमान
नृत्यमान, विश्यमान सङ्घन गम्यमानं नगरं दूरमस्ति । संघ द्वारा जाया जाता हुआ नगर दूर है ।
भावे वर्तमान कृदन्त प्र + काश् + य + म् + आन = प्रकाश्यमान उदा. चन्द्रेण प्रकाश्यमानमस्ति ।
चंद्र द्वारा प्रकाशित है ।
भाले