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आओ संस्कृत सीखें
यदि = यदि (अव्यय) पूर्व = पहेला (सर्वनाम) कृत = किया हुआ (विशेषण) . तीक्ष्ण = बारीक (विशेषण) पथ्य = हितकारक (विशेषण) प्रसन्न = खुश (विशेषण) व्यथाकर = पीड़ा करनेवाला (विशे.) सकल = समस्त (विशेषण)
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मनुष्य सत्य बोले ।
राजा प्रजा का रक्षण करे ।
सार = श्रेष्ठ (विशेषण) सुंदर = मनपसंद (विशेषण) फलदायक फलदेनेवाला (विशेषण) असार = खराब, बुरा (विशेषण) असमीक्ष्य (न+सम्+ईक्ष्+य) = अच्छी तरह से देखे बिना (सं. भू. कृ.) तप्त = तपा हुआ (भूतकृदंत)
संस्कृत अनुवाद करे
=
1.
2.
3.
शिष्य गुरु को वंदन करे ।
4. हे विद्यार्थियों ! तुम सुबह पढ़ो ।
5. यदि तुम सुख छोड़ोगे तो विद्या प्राप्त होगी ।
6. यदि राजा प्रजा का पालन करे तो प्रजा राजा की आज्ञा माने ।
7. यदि मनुष्य धर्म करेगा तो सुख प्राप्त करेगा ।
8.
हम यहाँ उद्यान में बैठें ।
9.
अरे ! मैं राजा की सेवा करूँ या ईश्वर का भजन करूँ ?
10. हे लोगो ! सदाचार का पालन करना चाहिए और लोभ का त्याग करना
चाहिए |
11. यहाँ झाड़ के नीचे बैठकर हम विश्राम लें ।
12. आज रात्रि में बरसात हो भी सकती है ।
13. यदि मैं सत्य बोलूँ तो राजा द्वारा कैदखाने में से मुक्त बनूँ ।
14. 'अब मैं अधर्म नहीं करूंगा' इस प्रकार उस राजा ने धर्माचार्य को कहा ।
15. अब तुम्हे धन का लोभ छोड़ना चाहिए ।
16. राजा ब्राह्मणों को गायें देता है ।
17. चंद्र आकाश में प्रकाश दे ।
18. कदाचित् राम रावण के साथ युद्ध करे ।
19. अग्नि द्वारा तपा हुआ सोना पिघल जाता है । (दु)
20. मिट्टी के घड़े बनते हैं और सोने के अलंकार बनते हैं ।