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आओ संस्कृत सीखें
187उदा. गच्छन्ती, चोरयन्ती, नृत्यन्ती छठे गण के अ विकरण प्रत्यय के बाद में रहे अत् प्रत्यय का विकल्प से अन्त् होता है।
स्त्रीलिंग के रूप गच्छन्ती
गच्छन्त्यौ गच्छन्त्यः शेष रूप नदी के अनुसार होंगे ।
नपुंसक लिंग के रूप गच्छत्, द् गच्छन्ती गच्छन्ति (प्र.द्वि.सं.)
___ शेष रूप पुंलिंग के अनुसार 12. अस् गण 2 का कर्तरि वर्तमान कृदन्त सत् होता है |
सत् अर्थात् होता हुआ । सत् अर्थात् अच्छा, पूज्य पुलिंग रूप- सन् सन्तौ सन्तः (गच्छत् की तरह) स्त्रीलिंग रूप सती सत्यौ सत्यः (नदी की तरह)
नपुंसक लिंग सत्, द् सती सन्ति (शेष पुंलिंग की तरह) 13. जो क्रिया अन्य क्रिया को बताती हो उस नाम को सप्तमी विभक्ति होती
है उसी विभक्ति को सति सप्तमी कहते हैंउदा. वर्षति मेघे चौराः आगताः ।
जब मेघ बरसता था, तब चौर आए थे । बरसात के बरसने की क्रिया, चौरों के आगमन को बताती है अतः मेघ शब्द को सप्तमी विभक्ति हुई है । उसी प्रकार वर्षन् कृदन्त भी मेघ का
विशेषण होने से उसे भी सप्तमी विभक्ति हुई है । 14. सति सप्तमी विभक्ति के प्रसंग में यदि वाक्य में अनादर दिखता हो तो
षष्ठी विभक्ति भी होती है । उदा. नन्दाः पशव इव हताः पश्यतो राक्षसस्य । राक्षस नाम के मंत्री के देखने पर भी नंदों को पशुओं की तरह मारा गया ।