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आओ संस्कृत सीखें
.. सर्वा के रूप | 1 | सर्वा । सर्वे .
सर्वाम् सर्वे सर्वया सर्वाभ्याम्
सर्वस्यै | सर्वाभ्याम् | 5 | सर्वस्याः | सर्वाभ्याम् | 6 | सर्वस्याः । सर्वयोः । | 7 | सर्वस्याम् | सर्वयोः | संबोधन | हे सर्वे ! हे सर्वे !
सर्वाः सर्वाः सर्वाभिः सर्वाभ्यः सर्वाभ्यः सर्वासाम् । । सर्वास हे सर्वाः ! |
1.
किसी प्रयोजन से प्रत्ययों के साथ निशानी के रूप में जुड़े होने पर भी जो वर्ण प्रयोग में नहीं आते है, वे 'इत्' कहलाते है । कोष्ठक में प्रत्यय इत् वर्ण सहित दिए गए हैं उदा. अस्यै (डस्यै) यहाँ ड् वर्ण इत् है । ड् इत्वाले प्रत्यय पर अन्त्य स्वर और उसके बाद रहे व्यंजनों का लोप होता है | उदा. सर्वा + अस्यै (डस्यै) = सर्वस्यै यहाँ अंत्यस्वर 'आ' का लोप होता है । अंत्य स्वर आदि का लोप करना, यही ड् इत् का प्रयोजन है । इत् वर्ण प्रयोग में नहीं रखा जाता है, सर्वस्यै के रूप में ड् नहीं है । किम्, तद, यद, एतद, द्वि के स्त्रीलिंग रूप क्रमशः का, ता, या, एता, द्वा शब्द बनाकर सर्वा के अनुसार रूप करने चाहिए । प्रथमा एक वचन में तद् और एतद् के त् का स् करे-सा, एषा |
, अदस् के स्त्रीलिंग रूप । | 1 | असौ | अमू | अमूः
__ अमूम् । अमू । अमू:
अमुया अमूभ्याम् | अमूभिः
2
|
अमूम्
।