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आओ संस्कृत सीखें
युध्-स्त्रीलिंग के रूप | प्रथमा । युत, द् | युधौ | युधः | द्वितीया । युधम् युधौ | युधः ।
तृतीया युधा युद्भ्याम् युद्भिः चतुर्थी
युद्भ्याम् युद्भ्यः | पंचमी | युधः युद्भ्याम् । युद्भ्यः | षष्ठी | युधः । युधोः । युधाम् । सप्तमी | युधि
युत्सु संबोधन | युत्, द् युधौ युधः
युधोः
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इ
नपुंसक लिंग (प्रत्यय) | प्रथमा । ई इ | द्वितीया | 0
ई
इ संबोधन | 0 |
जगत् द् जगती जगन्ति
शेष व्यंजनांत पुंलिंग की तरह 1. य से प्रारंभ होनेवाले प्रत्यय को छोड़कर अन्य व्यंजनों से प्रारंभ होनेवाले
प्रत्ययों पर पहले का नाम पद कहलाता है | मरुत् + भ्याम् मरुद्भ्याम् (पद होने से त् का द हुआ) युध् + भ्याम् युद्भ्याम् (पद के कारण वर्ग का तीसरा व्यंजन हुआ ।) युध् + सु = युत्सु प्रथमा-द्वितीया व संबोधन के बहुवचन के इ प्रत्यय पर नपुंसक नाम के अंतिम स्वर पर रहे धुट् व्यंजन के पहले 'न' जोड़ा जाता है | उदा. जगत् + इ
जगन्त् + इ = जगन्ति
संस्कृत में अनुवाद करो 1. धूप से थके हुए लोग वृक्ष की छाया में आश्रय लेते थे । 2. लज्जा स्त्रियों का भूषण है । 3. धर्म जगत् का शरण है ।