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आओ संस्कृत सीखें -
देह = शरीर
पर्वत
= पहाड़
पर्ण = पत्ता
पाप = पाप
पुण्य = पुण्य
कंकण = कड़ चंदन चंदन, ज्ञान = बोध
=
सुखड़
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हस्त = हाथ सर्प = साँप
नपुंसक नाम
तृण : = घास नयन = आँख नेत्र = आँख, चक्षु
भूषण = अलंकार शिखर शिखर
शील = सदाचार
1. बालः प्रासादात्पतति । 2. धर्मं विना सुखं नास्ति । 3. वृक्षेभ्यः पर्णानि क्षरन्ति । 4. चौरास्त्वद् धनं हरन्ते ।
संस्कृत में अनुवाद करो
1. श्री महावीर अंगों पर से अलंकारों को छोड़ते हैं ।
2. अब वह घर से कहाँ जाता है ?
3. धन बिना मनुष्य मोहित होता हैं ।
4. वह तुम्हारे पास से धन चाहता है ।
5. राजा चोरों से हमारा रक्षण करता है ।
=
6. तुम्हारे बगीचे के उन दो वृक्षों पर बंदर फल खाते हैं ।
7. मैं अपनी आँखों द्वारा देखता हूँ, उसकी आँखों द्वारा नहीं ।
8. उन पर्वतों के शिखरों पर घास जलती है ।
9. उस घर में हमारे पिता का धन है ।
10. तुम्हारे गाँवों में बहुतसा अनाज है । 11. उस मार्ग में साँप जाता है ।
हिन्दी में अनुवाद करो
5. सङ्घो नगरान्नगरं गच्छति । 6. स वानरस्तस्मादुद्यानाद्धावति । 7. आवाभ्यां पापानि नश्यन्ति । 8. पुण्याद्विना सुखं न भवति ।